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Poetry

Meri Pukaar.....

मेरी पुकार

(भ्रूण हत्या)
 
रात का सन्नाटा देख मुझे कूड़े में क्यों फ़ेंक दिया?
अपने ही ख़ून को यूँ आसानी से क्यों छोड़ दिया?
जन्म तो सही से मुझे लेने दिया होता न मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
 
मारना ही था तो क्यों अपनी कोख में जगह दी?
फिर नयी ज़िन्दगी जीने का मुझे क्यों वजह दी?
जीना मुझे भी था ठीक तुम्हारे जैसा, मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
 
बेटी नाम से थी तुम्हें जब इतनी ही ज़्यादा नफ़रत,
तो फिर मम्मी आज तू कैसे है ज़िंदा सही सलामत?
बेटी ही तो बहन,बीवी और माँ बनती है मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
 
बड़ी हसरत थी जग में आ कर नाम कमाने की,
इंद्रा, लक्ष्मी बाई, कल्पना, किरण, मीरा बन जाने की,
आँखें तो खोल ही नहीं पायी इस जगत में मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
 
अब बेहतर लगते हैं पशु-पक्षी प्राणी काफी इंसान से, 
काश ख़ुदा ने मुझे पैदा किया होता उनके घर शान से,  
फ़ख्र से कहती खुद को जानवर की बेटी, मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
 
जब जाऊंगी ख़ुदा से मिलने फ़रियाद लिए हांथों में,
गिड़गिड़ाऊंगी- न दूसरा जन्म देना अब इंसानो में,
मेरी इस बात का बिलकुल बुरा न मानना मम्मी पापा,
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया मम्मी पापा?

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