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Kabir Ke Dohe

“ बोए पेड़ बबूल का तो आम कंहा से पाए ” :- कबीरदास

बोए पेड़ बबूल का तो आम कंहा से पाए ” :- कबीरदास आप जैसा बोएँगे वैसा ही भविष्य मे काटेंगे | आज देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर मे है | आटोमोबाइल , रियल स्टेट जैसे कई क्षेत्रो मे सुस्ती है | निजीकरण की दिशा मे हम बढ़ चले है | सरकार को पैसा चाहिए तो एलआईसी हो या अन्य पब्लिक सेक्टर कम्पनियां वंहा से सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच रही है | बैंको के एनपीए चरम पर है , लोगो का बैंको मे विश्वास किस हद तक कम हुआ है इसका प्रमाण है कि बजट भाषण मे खुद वित मंत्री को कहना पड़ा कि अगर बैंक डूब भी जाए तो पाँच लाख तक आपको वापिस मिल जाएगा | बेरोजगारी चरम पर है | मेक इन इंडिया के बजाय अबकी बार बजट मे जिक्र था असेंबल इन इंडिया का | शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक हम निजी हाथो मे देने को तैयार है और एफ़डीआई के जरिये विदेशी कंपनियां भारत मे निवेश करे और हमारी पहचान मात्र सबसे बड़े बाज़ार की हो चली है जंहा सस्ता कामगार उपलब्ध है |

  • कल्पित हरित |
  • 5 Year ago |