उस गली में
बहुत चहल पहल थी आज हमारी सैंट पीटर्स स्ट्रीट में पूरी स्ट्रीट रोशनी से जगमगा रही थी ।चर्च भी बहुत रंग बिरंगी झालरों से सजी हुई थी।
" कल क्रिसमस जो है" गोवा के क्रिसमस की तो बात ही निराली है तभी तो लोग यहां क्रिसमस मानने देश विदेश से खिंचे चले आते हैं।
हमारी गली तो पूरी तरह से त्योहार के रंग में रंगी हुई थी । अंकल डिसूजा के पब पर तो बियर पीने वालों की टोलियां अलग अलग एन्जॉय कर रहीं थी। शॉप्स पर भीड़ उमड़ रही थी मानो सब फ्री में बंट रहा हो ।केक और पेस्ट्री शॉप्स पर भी लोगों का तांता लगा हुआ था । पकवानों की भीनी भीनी सुगंध पूरी गली में फैली हुई थी ।बच्चों के चेहरे की खुशी तो देखते ही बनती थी कुछ खेल रहे थे और कुछ अपने घरों कि डेकोरेशन बहुत उत्सहित हो कर कर रहे थे।खुशियों ने अपने दामन में सबको समेट लिया था ।सब लोग दिल खोल कर खुशियां मना रहे थे बस गली के मोड़ पर एक घर ऐसा था जहां उदासी और दर्द ने अपना डेरा जमाया हुए था जहां इतनी चहल पहल के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ था वो घर अंकल पैट्रिक का था ।घर के बाहर टिमटिमाता बल्ब वहां के रहने वालों के दिल का हाल बयान कर रहा था।
पिछले साल आज के दिन की ही तो बात है जब कितने खुश थे अंकल और आंटी।बहुत ही जिंदा दिल और मौज मस्ती करने वाले लोग थे दोनों। पर ऐसा लगता है मानो इन की खुशियों को किसी की नजर लग गई।वक़्त ने कोई गहरा घाव उन्हें दिया था वो अभी भी भरा नहीं था और वो उस के दर्द से उभर नहीं पा रहे थे उनकी नोक झोंक बहुत अच्छी लगती थी मुझे आज भी याद है वो वाक्या जब पिछले साल अंकल स्टूल पर चढ़ कर झालर लगा रहे थे और आंटी किचन से चिल्ला रही थी " ओ मेन तुम किधर चढ़ गया " ओल्ड एज में कहीं गिर गया तो ।अंकल भी नीचे उतरते हुए जवाब में कह रहे थे "आई एम नॉट ओल्ड आई एम स्टिल यंग । तुम हो गया है ओल्ड। " सुबह से किचन में लगा हुआ है अपना तबीयत का खयाल भी नहीं रखता " आंटी बड़े भावुक हो कर कह रही थी "
मेरा बेटा जेम्स पूरा टू ईयर्स के बाद लंदन से क्रिसमस पर आ रहा तुम नहीं समझेगा मां के दिल का तड़प । नौ महीना पेट में रखा होता तो जान पाता ।
जेम्स अंकल आंटी का इकलौता बेटा था जिसे उन्होंने बहुत लाड़ प्यार से पाला था अब उसका नौकरी लंदन में लग गया था जो वहां चला गया था । तभी फोन की घंटी बजी और इस चहकते हुए जोड़े के जीवन में खामोशी भर दी। उन के बेटे का एक्सिडेंट हो गया था और वो ज़िन्दगी की आखरी सांसे ले रहा था । इन की मज़बूरी थी कि ये उसको आखरी समय में देख भी नहीं सकते थे। बिन पानी मछली की तरह बस यहीं तड़पते रहे। और कुछ दिन बाद दोनों को मिली बस अपने बेटे की अंतिम निशानियां जिसको देख देख कर सीने से लगा कर रोते रहते थे। तब से अंकल आंटी ने मानो खामोशी की चादर ओढ़ ली थी और गम के इस दरिया में वो डूबते ही जा रहे थे। हम सब उन का दर्द महसूस कर रहे थे पर उस से निकलने का कोई रास्ता हमें नहीं दिख रहा था ।
पर कहते हैं जब जीवन में अंधेरा ही अंधेरा हो और कोई रास्ता नहीं दिख रहा हो तो उस लॉर्ड पर छोड़ देना चाहिए वो ही कोई ना कोई रास्ता दिखाता है
पुरानी यादों से निकाल कर मैंने बड़े बोझिल मन से उन के घर की तरफ देखा तो वह एक यंग सा लड़का सूट बुट में हाथों में बुके और केक लिए खड़ा था और उन के गेट की बेल बजा रहा था।में भी उत्साह वश अंकल आंटी के घर की ओर जाने लगा ये जानने को ' कि ये कौन है ? पहले तो इससे कभी नहीं देखा ? मैंने देखा आंटी पैट्रिक बड़े थके कदमों से चलती हुई आ रही थी मैं भी बस वहां पहुंच चुका था आंटी ने उस से पूछा " तुम कौन हैं मेन , मैं तुमको नहीं पहचाना " नवयुवक ने बुके और केक आगे बढ़ाते हुए बड़े उत्साहित हो कर कहा " मेरी क्रिसमस " उसकी आवाज में एक कशिश थी जिसने आंटी के दिल को छू लिया उन्होंने उससे अंदर बुलाया मैं भी पीछे पीछे चल दिया । अंदर पहुंच कर उसने अंकल को भी क्रिसमस की बधाई दी और अपने बारे में बताने लगा ।"
मेरा नाम समीर है और में लंदन से यहां आया हूं। मेरे पास आप की बेशकीमती चीज है जो मुझे यहां तक खींच कर लाई है । अंकल ने बहुत ही दर्द भारी आवाज में कहा " जो बेशकीमती था वो तो लॉर्ड ने हमसे वापस ले लिया तुम ऐसा क्या लाया है |
" आप के बेटे जेम्स का दिल " जो आज मेरे सीने में धड़क रहा है , उस के शब्द सुन कर हम सब स्तब्ध रह गए। वो बोलता जा रहा था और हम बुत बने उस की बातें सुन रहे थे । हमे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था। " आंटी आप का बेटा बहुत महान था और अंतिम वक़्त में सिर्फ आप दोनों के लिए ही फिक्रमंद था उसने अंतिम सांसे लेते हुए डॉक्टर्स से कहा " मैं तो नहीं बचूंगा पर अगर हो सके तो मेरे दिल को बचा लेना उसमे मेरे मां पापा रहते हैं। डॉक्टर्स ने उस का दिल मेरे अंदर लगा दिया और वो दिल मुझे आप तक खींच कर ले ही आया । आंटी मैं भी अनाथ हूं लॉर्ड ने मेरे मां पापा को मुझ से दूर कर दिया " क्या मैं आप का बेटा बन सकता हूं "। आंटी बुत सी बनी सब सुन रही थी और फिर अचानक समीर को गले लगा कर जोर जोर से रोने लगीं " जेम्स तुम कहां चला गया था " एक साल से उन के मन में दबा गुबार आंसूओं में बह कर निकाल रहा था अंकल भी लड़ख़ड़ाते कदमों से उठ कर बड़े तो उन के हाथों से उन की छड़ी छूट कर गिर गई और उन्होंने समीर के मजबूत कंधों का सहारा ले लिया और जोर से उस का हाथ थाम लिया । गली के उस घर में एक बार फिर से खुशियां लौट आई थी और फिर से हमारी गली में क्रिसमस पूरे हर्शोल्लास से सबने मिल कर मनाया |
-- आरती मित्तल