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Poetry

Zindagi

ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुलाक़ात करलु आज
बीते हुए लम्हो का हिसाब करलु आज
कुछ पाने की उमीदो के साथ जी रहा था
ना मिलने का तज़ुर्बा सीखा गया तू आज
आज़ाद थे वो परींदे जो उड़कर छू लेते थे आसमानो को
आज उन्हें कैद देख करता है दिल रोने को

ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुलाक़ात करलु आज
बीते हुए लम्हो का हिसाब करलु आज
कल तक पेड़ बनकर जी रहा था
आज एक सुखी डाली बन गया हु !
फिर भी ख़ुशी है इस बात की,

की में किसी के काम आ रहा हु !
करता है दिल छू लू उन लहरों को आज
बेफिक्र नाचू बनाकर पानी को सुर और ताल
डर है कही साथ ना छोड़ दे ये उम्मीद मेरी
क्युकी ज़िम्मेदारियों का बोझ आज भी है साथ

ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुलाक़ात करलु आज
बीते हुए लम्हो का हिसाब करलु आज

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