रचना गुरु नानक का नूर
गुरु नानक देव जी की अमर वाणी,
एक नूर त सब जग उपजा,मानवता की है निशानी।
ऊँच-नीच का भेद मिटाया,हर मानव को गले लगाया,
स्वार्थ का त्याग किया,शिष्य को पदवी पर बिठाया।
गुरु का कहना रब दा कि पाना,इथे बोना उथे पाना,
शब्द रूप का ज्ञान कराया,जो जल-थल में एक समाया।
शब्द ही धरा हमारी,शब्द ही आकाश हमारा,
शब्द ही शब्द भयो प्रकाश,सारे जग में शब्द उजियारा।
गुरु नानकदेव का है नारा,घट में ही जान ईश्वर प्यारा,
मानो बात हमारी यह है,परम सत्ता का अनमोल खजाना।
हर विश्वजन है प्रभु का प्यारा,निस्वार्थ सेवा हो धर्म हमारा,
तब ही सदभावना की डोरी से वंधे विश्वजन प्यारा॥
लेखिका सुशीला रोहिला