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Poetry

Achhe Dost

 अच्छे दोस्त

 
 
चोर जब
पिता की जेब से चवन्नी भर पिता
माँ की रोटी से कौर भर माँ
भाई के हाथ से मुट्ठी भर भाई 
बहन के धागे से गांठ भर बहन 
प्रेमिका के पर्स से झपकी भर प्रेमिका 
और 
पत्नी की सिंदूरदानी से चुटकी भर पति चुरा 
अपने-अपने घरों में सुस्ता रहे होते है
तब इन सबको
ब्रह्मा चुरा 
कुछ प्राणियों में डाल देते हैं
चुराई चीज़ों से बने 
ये पारदर्शी लोग होते हैं 
अच्छे दोस्त.
 
अच्छे दोस्त 
उपेक्षा और लापरवाही के बावजूद 
छातों और स्वेटरों की तरह 
बुरे मौसमों में साथ देते हैं
 
घास की तरह बिछे 
तमाम मौसमों से बेअसर ये लोग 
हमें हमारे हर अच्छे बुरे के साथ 
केवल हिचकियों में सताते हैं
 
रात गए जब सो चुकी होती है पत्नी 
किसी पुराने प्रेमी के साथ
या पिता उलट रहे होते हैं यादों के बहीखाते 
या माँ मन में पिता से पहले जाने की कामना कर रही होती है 
या घर जब नौकरशाह चौकीदार की तरह सुस्ता रहा होता है 
तब
बहुत बेतकल्लुफ़ी से 
पीठ पर घूंसा मर 
हमें अपनी नींद से बेदखल कर 
पेशेवर अपहर्ताओं की तरह 
उठा ले जाते हैं 
अच्छे दोस्त
 
ईमानदार प्यार की तरह 
तर्कों से ऊपर 
बेईमान बच्चों की तरह 
पलंग के नीचे 
और तटस्थ दिनों की तरह 
कैलेंडर पर छप कर 
ये हमेशा हमारे पास रहते हैं, बिना किराया दिए 
किरायेदारों की कमसिन और ख़ूबसूरत पत्नियों की तरह 
पहली ही नज़र में अच्छे लग कर
 
ये लोग
आपके इतिहास को नहीं पढना चाहते 
आपके भूगोल से भी इन्हें कत्तई दिलचस्पी नहीं हैं 
ये तो आपको सिन्धु सभ्यता के सिक्के मान 
पुराविदों की तरह प्यार कहते हैं 
इनकी गणित हमेशा कमज़ोर होती है
 
ये कुशल फोटोग्राफरों की तरह 
आपके चेहरे को हमेशा अच्छा पाते हैं
इनके सारे प्रयास होते हैं : 
आपकी एक अदद मुस्कुराती फोटो
 
पुरानी प्रेमिकाएं 
पहले प्यार के संकोच भरे दिन
मनचाहे सपनों से सजी नींद 
इन सबको 
हर रोज़
डाकिये-सी निश्छलता के साथ दे जाते हैं 
अच्छे दोस्त.
 
-विनोद विट्ठल

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