खुलकर जीना हमने सीखा है
डर कर नहीं बस खुलकर जीना हमने सीखा है ,
टूटे है कई बार , बिखरकर निखरना हमने सीखा है
ठोकरों का एहसान है हम पर , उनसे चलना हमने सीखा है ,
गिरने का हमे कोई गम नहीं , गिरकर संभालना हमने सीखा है
चीखे भी कई दफ़ा हम , दर्द को अब गुनगुनाना हमने सीखा है ,
मरकर भी नहीं मरे हम , आंसुओ में मुस्काना हमने सीखा है
अंधेरो से दोस्ती की है , जुगनू बन झिलमिलाना हमने सीखा है ,
खतरों से आँख मिलके बच्चों सा , खिलखिलाना हमने सीखा है
चट्टानों का अब खौफ़ नहीं , पानी सा बहना हमने सीखा है ,
ऐ ज़िंदगी , तुझसे प्यार करते है हम , अब ये कहना हमने सीखा है |
ज़िंदगी से यारी रख
ज़िंदगी से यार तू यारी रख
अपनी भी तू जिम्मेदारी रख
मौका मिलता नहीं बार बार
थोड़ी सी तू भी होशियारी रख
कोशिशों का कारवाँ तू ज़ारी रख
अपना हौंसला भी तू भारी रख
मुश्किलें तो है मील का पत्थर
सबसे ऊपर तू अपनी खुद्दारी रख
सच और सपनों की सवारी रख
मेहनत और लगन तू करारी रख
तूफ़ान भी मान लेगा एक दिन हार
सिर्फ वज़ूद में अपने ईमानदारी रख |