प्रिय बापू ने पत्र
प्रिय बापू ,
नमस्कार,
आपकी कुशलता चाहते हे।
प्रिय बापू आप हमारे लिए अमर हे। आजादी के फल खाते हुए हमे आप रोजाना याद आते हे। गुजरर मे रहते हुए गुजरात विध्यापीठ से ,गांधी आश्रम से,कोचरब आश्रम से गुजरते हे तब भी बापू आप की याद आती हे। आश्रम रोड पर आकार भवन के सामने आप खड़े हे। हमतुम्हे मिलने और देखने वह बार बार आते हे। आप हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात एवं पूरे हिंदुस्तान के लिए अमर हे। अरे, हिंदुस्तान क्या आप पूरे विश्व मे जीवित हे।आप को विदेश मे आज भी लोग सम्मान देते हे। आप को याद करते हे। आप के जन्म स्थान पोरबंदर से ही हमे व्यसन मुक्ति अभियान की प्रेरणा बापू आप से ही प्राप्त हुई हे। हम स्कूल एवं कालेजो मे प्रोग्राम करने जाते हे वहा आप को ही याद करते हे।आप का ही उदाहरण पेश करते हे।
आप के बताए गए रास्ते पर लोग चलते हे। चरखा चलते हे,खादी का कापड़ बुनते हे। खादी पहनते हे। देश का राष्ट्र ध्वज भी खादी कपड़े से बना हुआ हे। स्वातंत्रय दिवस पर बापू आप को हमेशा याद करते हे। आप हमारे दिलो मे जिंदा हे।भारत देश की राजधानी दिल्ली मे आप के’ हे राम ‘,आज भी सुनाई देता हे। आप के सत्य के प्रयोग मे आप जिंदा हे। आप की ‘आत्म कथा ‘ साक्षी हे। आप ने बनाया गया वो आश्रम साबरमती नदी के किनारे कस्तूरबा और बापू आप की निशानी स्वरूप मे और कोचरब आश्रम पालड़ी अहमदाबाद मे भी आप जीवित हे। देश की आजादी के लिए आप का बलिदान हम केसे भूल पाये ?आज हमारे दिलोमे आप जिंदा हे,बापू आप अमर हे।
अमर वो इंसान बन जाता हे,जो अपने परिवार की फिक्र न करते हुए अपना पूरा जीवन देश के लिए कुर्बान करता हे,वो इंसान अमर बन जाता हे। आप ने देश के लिए बापू अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया हे । बापू आप का जितना आभार प्रकट करे उतना कम हे।
प्रिय बापू मजदूरो के लिए किए गए वो उपवास ,स्वतन्त्रता के लिए किए गए वो उपवास खेड़ा सत्य गृह बरदोली सत्याग्रह ,और चंपारण्य मे किसानो के लिए चलाई गई वो लडत ,स्वछता अभियान,प्रौढ़ शिक्षा,सर्वोदय के सिधान्त ,महात्मा गांधी के रूप मे हमे बहुत ही याद आता हे। ‘ बापू ‘ दक्षिण आफ्रिका मे व्यसनी लोगो की बड़ी दूर करने के लिए किए गए उपाय,कोमी एकता और अस्पृश्यता निवारण तथा दारू बंधी 1920 की साल से आपने सुधारा के रूप मे अपनाया था। गुजरात मे आज भी शराब बंधी हे। आप की खादी की हिमायत आज भी चालू हे। 1940 की साल मे 13451 गांवो मे 2,75,146लोग गाँव के वतनी थे ,वे सूत चरखा चलाकर निकालते थे,रुई पिंजना ,चरखा चलाना,कपड़ा बुनना ,कुल मिलकर 34,85 609 रुपये मजदूरी के मिले थे।यह आंकड़े मे 19645 हरिजन,57378 मुस्लिम,थे। उसमे स्त्रियो की संख्या ज्यादा थी। आप ने ग्रामोध्योग का विकाश किया। गांवो को सफाई का मंत्र दिया,प्रौढ़ शिक्षा की शुरुआत की गई,हिन्दी भाषाको राष्ट्र भाषा के रूप मे स्वीकार ने की बात कहा। परिणाम स्वरूप 1925 की साल मे कानपुर की सभा मे राष्ट्रीय महा सभा ने ठराव मे हिंदुस्तान की राष्ट्र भाषा हिन्दी को बनाया गया । गौ सेवा को सम्मानित कार्य के रूप मे लिया था।
अहिंसा से समाज मे सुधारणा लाने के लिए किए गए प्रयोग आज भी चालू हे। सत्य और अहिंसा से प्राप्त की गई स्वतन्त्रता की सिद्धि आज भी आप की याद दिलाती हे।
बापू महात्मा गांधी आप का जन्म पोरबंदर गुजरात मे 1869 को दूसरी अक्टूबर के दिन हुआ था। आप का नाम मोहन दास गांधी रखा गया था। आप की मटा का नाम पूतली बाई और पिताजी का नाम करम चंद गांधी था। दक्षिण आफिका मे आप ने वकालत की थी। आप सत्य के आग्रही थे। आप का विवाह करुणामयी कस्तूरबा से किया गया था । आप कर्म योगी थे। राष्ट्र नायक थे। आप ने प्रार्थना को जरूरी माना था। हे प्रभु ,ले चल मुजे उस परमात्मा की ओर “वैष्णव जन तो उसे कहिए ,जो पीड़ा पराई जाने रे,” आप का प्रिय भजन हे। आप ने अक्षर की आराधना की थी। आप कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ चर्चा करते थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आपको ‘ महात्मा ‘ का बिरुद दिया था। आप स्वातंत्र्य संग्राम के राहबर थे,त्रि मूर्ति थे। सत्याग्रह आश्रम कोचरब और गांधी आश्रम साबरमती ह्रदय कुंज मे बापू आप आज भी जिंदा हो। दांडी यात्रा,शांति यात्रा,बिहार शांति यात्रा, मे बापू आप आज भी जिंदा हो। आल्बर्ट आइन्स्टाइन ने आप के लिए कहा था की,”आनेवाली पीढ़िया शायद ही मन सकेगी की,हाड़-मांस से बने किसी एसे मनुष्य ने कभी इस पृथ्वी पर भ्रमण किया होगा। “
आप ने ईश्वर के लिए लिखे गए वो शब्द “ ईश्वर के नाम तो हे,लेकिन एक ही नाम ढूँढे तो वह हे,सत –सत्य । इस लिए सत्य ही ईश्वर हे।
आप का जीवन ही आप का संदेश हे॥ मोहन दास से महात्मा तक की यात्रा मे सदैव सत्य की खोज की हे. आप का जीवन सत्य की खोज के लिए प्रयोग की तरह हे। उसे देखकर ही “ आत्म-कथा “ सत्य के प्रयोग ईएसए शीर्षक रखा गया हे। 1924 से 1925 तक नव जीवन पत्रिका मे गांधीजी की आत्मकथा क्रमशः छपी थी। आत्मकथा मे बचपन के अनुभव ,,शिक्षण,चोटी उम्र मे शादी,मांसाहार,पाप-चोरी,पिता पुत्र के संबंध,धर्म जिज्ञासा ,व्यवहार,बेरिस्टर के रूप मे अनुभव,समाज (जाती ) बाहर रखे गए वो प्रसंग,दक्षिण आफ्रिका का वृतांत,जेसे जीवन के अलग अलग प्रसंगो का सत्य के रुपमे देखने का प्रयास किया गया हे। यरवड़ा जेल का नाम यरवड़ा मंदिर दिया गया।यहा तुम्हें न्यूज़ पत्रिकाए पढ़ने के लिए मिलती थी। आश्रम से बहुत सारे पत्र भी आते थे। फुरसद के समय मे सूट यज्ञ मे चरखे की भक्ति मे और गीता पढ़ने मे बिताया जाता था। अपने स्वदेशी व्रत पर आलेख लिखा गया था। जो नव जीवन मे प्रकाशित हुआ था। वे प्रवचन मंगल प्रभात मे लिखते थे। इस के लिए आप के प्रवचन संग्रह का नाम मंगल प्रभात रखा हे।
दिनांक -22 जुलाई 1930 के दिन यरवड़ा जेल से आश्रम पर लिखे गए पत्र मे आपने लिखा था की,---पत्र मे सुचन था की ,मुजे हर सप्ताह मे कुछ प्रवचन ,प्रार्थना के समय पढ़ने के लिए भेजना होगा। सोचते हुए यह मांग आप को सही लगी थी । प्रार्थना के समय कुछ ज्यादा चेतना डालने के लिए मेरा यह योगदान गिनना एसा कहा गया था। और वही पत्र के साथ सत्यव्रत का व्याख्यान भी भेजने को कहा था। उसके बाद सप्ताह मे एक के बाद एक दूसरे व्याख्यान भेजते गए थे।
जहा सत्य हे वहा ज्ञान हे। शुध्ध ज्ञान हे।जहा सत्य नहीं हे वहा शुध्ध ज्ञान नहीं होता। इस लिए ईश्वर नाम के साथ चित याने की ,सत शब्द जुड़ा हे। जहा सत्य ,ज्ञान हे ,वहा आनंद होता हे। सत्य शासवत हे। इस लिए आनंद भी शासवत हे। इस लिए ईश्वर को हम ‘सच्चिदानंद ‘ के नाम से जानते हे। सत्य और अहिंसा का मार्ग जितना सरल हे इतना ही कठिन हे। अस्पृश्यता के लिए कहा हे की,आत्मा एखी हे। ईश्वर भी एक हे। इस लिए कोई भी इंसान अस्पृश्य नहीं हे।
खुद को मेहनत करने के लिए कहा गया हे।रस्किन का ‘ उन तू दिस लास्ट ‘ पढ़ने से अङ्ग्रेज़ी शब्द’ब्रेड लेबर ‘याने की रोटी के लिए मजदूरी खुद को ही करना हे। सर्व धर्म की बात काही गई हे। सभी धर्म ईश्वर प्रेरित हे। मानव कल्पित होने से उसका प्रचार करते हुए भी वो अपूर्ण हे। स्वभाव मे स्फूर्ति होनी चाहिए। स्वदेशी व्रत याने की ,स्वदेशी आत्मा का धर्म हे। यह धर्म पालन से परदेशी मिल वालों को नुकसान होता हे। चरखा से सूत बनाकर खादी बुनकर पहननावों स्वदेशी धर्म हे।
हिन्दू धर्म मे अस्पृश्यता का रिवाज जड़ता हे। उसमे धर्म नहीं हे,लेकिन अधर्म हे। इस लिए अस्पृश्यता निवारण को नियम मे स्थान दिया गया हे।
‘ राम नाम ‘ का मंत्र आधी-व्याधि ,उपाधि को दूर करने का अमोघ शस्त्र हे। एसी श्रद्धा आप को राम मंत्र मे थी।
1941 मे” रचनात्मक कार्यक्रम ,उसका रहस्य और स्थान “नमक पुस्तक आपने सौ प्रथम लिखी गई थी। राष्ट्र का विकाश करने के लिए रचनात्मक कार्यक्रम उसमे दिखाया गया हे।रचनात्मक कार्यक्रम सम्पूर्ण आजादी प्राप्त करने के लिए पालन करने के लिए जरूरी बताया था। रचनात्मक कार्यक्रम के द्वारा सम्पूर्ण आजादी प्राप्त करने का सत्य अहिंसा का मार्ग दिखाया गया हे। वो मार्ग सफल होते ही आजादी प्राप्त हुई थी। बापू आपकी सत्य अहिंसा की लडत मे लोगो का विश्वास और राष्ट्र भावना से ही देश को स्वतन्त्रता मिली हे। आजादी अमर हे और बापू आप भी अमर हे।
जय हिन्द
वंदे मातरम
भारत माता की जय
डॉ गुलाब चंद पटेल
कवि लेखक अनुवादक
नशा मुक्ति अभियान प्रणेता
ब्रेस्ट कैंसर अवेरनेस कार्यक्रम योजक
इंडियन लायन्स गांधीनगर
भूत पूर्व ऑफिस सुपेरिटेंडेंट
जिला शिक्षणाधिकारी ऑफिस अहमदाबाद
मो 9904480753मो 8849794377
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