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Motivational Story

Meet The Real Life "Slumdog Millionaire"

 ये कहानी झारखंड में बचपन बिताने वाले उस शख्स की है, जिसने कभी दिल्ली के झुग्गियों में रात गुजारी, पेट की आग बुझाने के लिए कभी लोगों को चाय पिलाई तो कभी न्यूज पेपर और मैगजीन बाटी लेकिन तमाम मुश्किलों, चुनौतियों और विषम परिस्थितियों के बावजूद उसने कभी हार नहीं मानी और जी तोड़ मेहनत की। घर से भागकर दिल्ली की सड़कों में चाय बेचने वाला यही लड़का आज लंदन में बिजनेस टायकून बनकर मशहूर हो रहा है और अरबों के टर्नओवर की कंपनी का मालिक है।

कोयले की खदानों वाले धनबाद में उसका घर था। पिता उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन पढ़ाई में उसे बिल्कुल भी दिलचस्पी न थी वो इससे भी आगे कुछ करना चाहता था। वो जैसे-जैसे बड़ा हो रहा था, उस पर थोपे जाने वाले फैसले और विकराल होते जा रहे थे। स्कूल में फेल होने की वजह से अक्सर घर में उसे पिता की नाराजगी का शिकार होना पड़ता था। एक दिन पिता की बातों से नाराज होकर वो घर छोड़कर भाग गया, उस वक्त उसकी उम्र महज 14 साल थी। पिता को लेटर लिखकर वो मुंबई के लिए रवाना हुआ लेकिन बीच रास्ते मन बदलने पर दिल्ली पहुंच गया। यहां उसे जानने वाला कोई नहीं था लिहाजा उसने मुनिरका इलाके की झुग्गी बस्ती को अपना आशियाना बना लिया। दिल्ली में गुजर-बसर करने लिए वो दो नौकरियां करता था, दिन में घरों में पत्र-पत्रिकाएं बांटने जाया करता और रात में चाय का स्टॉल लगाता था। 

झुग्गी बस्ती में काम करने के दौरान एक दिन उस लड़के की नजर अंग्रेजी अखबार के एक इश्तेहार पर पड़ी। इश्तेहार बिजनेस प्लान (व्यापार कैसे किया जाए) कॉम्पटीशन का था। उसमें बिजनेस आइडिया मांगा गया था। पांच लाख रुपए का इनाम था।लड़का इंटरनेट के बढ़ते प्रसार और उसके जरिए बनती नई संभावनाओं से भली भांति वाकिफ था तो उसने भी कॉम्पटीशन में अपना प्लान बताया। महिलाओं को मुफ्त इंटरनेट देने का उसका आइडिया कमाल कर गया और उसे विजयी घोषित किया गया। 

 

अखबार के कॉम्पटीशन से उसे बतौर इनाम कुछ धनराशि भी मिली। इसी पैसे से अंबरीश ने एक वेबसाइट बनाई। ये वेबसाइट थी ‘वुमेन इन्फोलाइन डॉट कॉम’, पोर्टल पूरी तरह से महिलाओं को समर्पित था। पोर्टल को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। पोर्टल से हुई कमाई से उसने साल 2000 में लंदन का रुख किया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उसने मास्टर डिग्री हासिल की।

इंग्लैंड में अंब्रीश एक टेक्नोलॉजी कंपनी शुरू करना चाहते थे लेकिन सफलता नहीं मिली। जो पैसे थे, सब खर्च हो गए। लिहाजा इस दौरान उन्हें कई कंपनियों के लिए काम करना पड़ा। ब्रिटेन की इश्योरेंस कंपनी स्विफ्टकवर और सोशल नेटवर्क ‘स्टक’ में को-फाउंडर के साथ-साथ हेड ऑफ इनोवेशन की भूमिका निभाई। साल 2007 में स्विफ्टकवर को एक्सा इंश्योरेंस ने खरीद लिया।

एक्सा इश्योरेंस में काम करते हुए उनकी मुलाकात एक और जुनूनी लड़के से हुई। दोनों ने बाजार में एक ऐप लॉन्च करने का प्लान बनाया। न्यू इंटरनेट की दुनिया में ऐप ने धूम मचा दी। हो सकता है आप भी उस ऐप का इस्तेमाल करते हों। वो ऐप है ब्लिपर। इसे बनाने वाला वो भारतीय लड़का है अंब्रीश मित्रा। ब्लिपर बनाने में उसके दोस्त ओमर तैयब का हाथ रहा। अब्रीश ब्लिपर के सीईओ है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में कंपनी के 14 ऑफिस हैं। 300 से ज्यादा लोग ब्लिपर के लिए काम करते हैं। 

ब्लिपर को साल 2011 में यूके में लॉन्च किया गया था। तब से यूनिलीवर, प्रॉक्टर एंड गैंबल, पेप्सिको, नेसले, हेंज, कोका कोला, लॉरियार और जैगुआर जैसे ब्रांड कंपनी के पार्टनर हैं। ब्लिपर ऐप आईओएस, एंड्रॉयड, विडोज पर उपलब्ध है। ब्लिप का हिंदी में अर्थ होता रडार लक्ष्य। ये ऐप भी रडार की तरह आस-पास की चीजों को स्कैन करता है और पलक झपकते ही उनसे जुड़ी सारी जानकारियां मुहैया करा देता है। अंब्रीश के बनाए ब्लिपर से लाखों लोग अपनी नॉलेज में इजाफा कर रहे हैं और कंपनी अरबों कमा रही है। अब्रीश की लीडरशिप में कंपनी कई अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है। सीएनबीसी ने टॉप 50 कंपनियों में ब्लिपर को 19वीं रैंक पर रखा था। जनवरी 2016 में ब्लूमबर्ग ने ब्लिपर को यूके की टॉप बिजनेस इनोवेटर्स की लिस्ट पहले नंबर पर रखा। 

धनबाद के इस लड़के का लोहा अंग्रेजी सरकार ने भी माना और उसे ब्रिटिश सरकार के ग्रेट ब्रिटेन अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया। आज 39 वर्षीय अंब्रीश भारत ही नहीं दुनियाभर के करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बने हुए हैं।

अंब्रीश कहते हैं कि जीवन एक लहर की तरह है। जिसमें सुख, दुख, कठिनाईयां, सफलता, असफलता, अवसर सब बहकर आते हैं। जब भी लगे कि लहरें हमें कुछ सिखाना चाहती हैं, तो उनसे भागने की बजाए उनकी सवारी करनी चाहिए। हालातों का डटकर सामना करना चाहिए।

 

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